Sunday 27 March 2016

मेरे जीवन का रंगमंच

जीवन एक रंगमंच हैं और हम इसके किरदार। हमेंं पता ही नहीं होता कि हम कब कौन सी भूमिका निभा रहे होते हैं, बस जीते चले जाते हैं। जीवन के भीतर जो मंच है मुझे इस मंच से प्रेम कब से है, नहींं जानती। जहाँ तक धुंधली सी यादें ले जाती हैं तो याद आता है कि अभिनय और निर्देशन के लिहाज़ से 12 वर्ष की उम्र मेंं एक चुटकुले को नाटक मेंं तब्दील किया था, स्कूल के दिनों में, बिना किसी बड़े से मदद लिए, बिना एक रूपये ख़र्च किये। भिखारी का किरदार चुना था, इसलिए नहीं कि कुछ और नहींं कर सकती थी, बल्कि इसलिए क्योंकि भिखारी बनने के लिए मेरे पास अपना फटा-पुराना कुर्ता और मुंह पर मलने के लिए राख थी और कॉस्ट्यूम के पैसे बचते नज़र आ रहे थे। पिता जी तो हमेशा प्रोत्साहन देते पर माता जी को फ़िज़ूल ख़र्ची पसन्द नहींं थी, इसलिए बीच का रास्ता निकाल कर मैंने ख़ुद ही वो किरदार बुना था और द्वितीय पुरस्कार जीता था। 

मेरे जीवन के रंगमंचों पर पुरस्कारों से कहीं अधिक मेरी मंच के साथ रहने की इच्छा प्रबल रहती थी जो कहती कि मैं नेपथ्य मेंं खड़े रहकर भी मंच को निहारती रहूँ । एक समय ऐसा भी था जब मैं एक किरदार के लिए अपने बाल तक मुंडाने को तैयार बैठी थी (2011), पर अचानक जीवन की दिशा बदल गई और बहा ले गई अपने साथ, समझ नहीं आ रहा था कि सच्चा प्यार है कौन ? 

धीरे-धीरे समझ आया कि जैसे माँ और पिता जी मेंं से एक को चुनना मेरे बस की बात नहीं, वैसे ही कई ऐसी विधायें हैं जिनमें से किसी एक को चुनना मेरे बस की बात नहीं, इसलिए मरने से पहले थोड़ा-थोड़ा प्यार हर उस विधा से पाने का प्रयास करूँगी जिसके लिए मेरे मन में प्रेम है। मेरी रंगमंच की दुनिया में चुनिन्दा लम्हें हैं जिन्हें उंगलियोंं पर गिना जा सकता है। कुछ झलकियाँ आपसे भी साझा कर रही हूँ। -              


'दीनानाथ-जानकी' (एड्स जागरूकता नुक्कड़ नाटक) – लेखन, निर्देशन, अभिनय (4 बार मंचन) – (एनसीसी और एनएसएस कैम्प्स लख़नऊ, दिव्यांकुर मंच-केकेसी लख़नऊ से सूत्रधार की भूमिका के लिए विशेष दक्षता पुरस्कार)

'कहानी केयरपुरवा गांव की' नुक्कड़-नाटक में अभिनय (निर्देशन-प्रदीप घोष, इप्टा लख़नऊ) – (होटेल ताज, लख़नऊ)

अभिमान (नाटक, निर्देशन-प्रदीप घोष, इप्टा लख़नऊ)- अभिनीत किरदार-काकी, वेशभूषा (राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह) – (2 बार मंचन)

राम नाम सत्य है। - (एकांकी में अभिनय एवं निर्देशन एवं द्वितीय पुरस्कार) – (स्थान- दिव्यांकुर मंच, केकेसी,लख़नऊ)

राम मिलाई जोड़ी’ (एकांकी) – (मण्डल, जनपद एवं राज्य स्तर पर उत्तर-प्रदेश में प्रथम पुरस्कार एवं राष्ट्रीय युवा महोत्सव-2011, उदयपुर, राजस्थान में मंचित) 

'एअरफोर्स स्टेशन में गब्बर और साम्भा' (नाटक) का लेखन (मंचन स्थान, एअरफोर्स स्टेशन, चकेरी,कानपुर)

कशमकश (नाटक) – अभिनीत किरदार-छाया (निर्देशन- ध्रुव टमटा, लेखन-नम्रता भारद्वाज) – (मंचन स्थान- रविन्द्र भवन, भोपाल)

किश्तों में आशियाना (नाटक) – अभिनीत किरदार-सूत्रधार (लेखन-नम्रता भारद्वाज)-(मंचन स्थान- रविन्द्र भवन, भोपाल)

जल बिन जीवन (भूगर्भ जल दिवस) – अदि बर्मन की कहानी का सह-लेखन एवं गीत लेखन (मंचन- साइन्टिफिक कन्वेनशल सेन्टर, लख़नऊ)
     
क़िस्सा अजनबी लाश का (नाटक, निर्देशन-प्रदीप घोष, इप्टा लख़नऊ) – अभिनय (मंचन स्थान- कैफ़ी आज़मी एकेडमी, लख़नऊ तथा इप्टा बिजनौर प्रांगण)

कण कण में तू' मेंं अभिनय (लघु नाटिका, निर्देशन- मयंक शेखर मिश्रा, माखनलाल विश्वविद्यालय) - (मंचन स्थान- रविन्द्र भवन, भोपाल)

'मैं भारत हूँ।' (लघु नाटिका) (15 अगस्त) – निर्देशन, संयोजन  (मंचन स्थान- माखनलाल विश्वविद्यालय-भोपाल)

पुष्प की अभिलाषा (लघु नाटिका) -(शिक्षक दिवस) – लेखन, निर्देशन (मंचन स्थान- माखऩलाल विश्वविद्यालय-भोपाल)

भिखारिज़्म का प्रोफेशन – लेखन,निर्देशन, अभिनय (स्थान- रामाधीन सिंह महिला महाविद्यालय, लख़नऊ)

बेटी है तो कल है। (नुक्कड़) – निर्देशन एवं अभिनय – (लेखन- गौरव मिश्रा, मंचन- माखऩलाल विश्वविद्यालय-भोपाल)

हिस्ट्री ऑफ नोवेल – लेखन, निर्देशन, निर्माण (स्थान- रामाधीन सिंह महिला महाविद्यालय, लख़नऊ)

तितली (मोनो एक्ट)- लेखन, निर्देशन, अभिनय (स्थान- माखनलाल विश्वविद्यालय, भोपाल)


 अभिमान (विधा-नाटक,रबिन्द्रनाथ टैगोर की बांग्ला कहानी शास्ती का हिन्दी रूपान्तरण)- अभिनीत किरदार (काकी)- (निर्देशन-प्रदीप घोष, इप्टा लख़नऊ- राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह)





    कशमकश (नाटक)– (अभिनीत किरदार-छाया) (निर्देशन- ध्रुव टमटा, लेखन-नम्रता भारद्वाज,संंस्थापक सुकन्या-ब्लूम्स, मंचन स्थान- रविन्द्र भवन, भोपाल)


जल बिन जीवन (भूगर्भ जल दिवस) – अभिनय एवं अदि बर्मन की कहानी का सह-लेखन, निर्देशन- रवि गुप्ता व प्रशान्त सोनकर (मंचन- साइन्टिफिक कन्वेनशल सेन्टर, लख़नऊ)








राम मिलाई जोड़ी’ (एकांकी) – (ब्लॉक, ज़िला एवं राज्य स्तर पर उत्तर-प्रदेश में प्रथम पुरस्कार एवं राष्ट्रीय युवा महोत्सव-2011, उदयपुर, राजस्थान में मंचित)  



           राम मिलाई जोड़ी’ (एकांकी) - अभिनय (चमेली),  राष्ट्रीय युवा महोत्सव-2011, उदयपुर, राजस्थान में मंचित


           तितली (मोनो एक्ट)- लेखन, निर्देशन, अभिनय (स्थान- माखनलाल विश्वविद्यालय, भोपाल)


  
बेटी है तो कल है। (नुक्कड़) – निर्देशन एवं अभिनय – (लेखन- गौरव मिश्रा, मंचन- माखऩलाल विश्वविद्यालय-भोपाल)



ये कुछ पल हैं यादों के पिटारे से, पर इच्छा अभी बाक़ी है। न जाने कब फिर सामना हो जाये तुमसे ऐ मेरे जीवन के रंगमंच तब तक मुझे दुनिया मेंं अपना किरदार निभााने दो ।