Sunday 11 January 2015

वसुधैव कुटुम्बकम्

देखिए वाइब्रेंट गुजरात सम्मिट चल रहा है । आज से 3 दिन तक चलेगा और इसकी शुरूआत होते ही माननीय प्रधानमंत्री जी ने  वसुधैव कुटुम्बकम् की विचारधारा विश्व के समक्ष रख दी है । वो वहाँ सबका साथ, सबका विकास के नारे दे रहे हैं। अब वो लोग जो ख़ुद को सेक्युलर नहीं मानते पर स्वयं को प्रधानमंत्री का परमभक्त कहते हैं , उन्हें साष्टांग प्रणाम करते हैं । जिन्हें हिन्दुत्व के अतिरिक्त अन्य सभी धर्म एक षड्यंत्र नज़र आते हैं, वो भला कैसे सबका साथ , सबका विकास मानेंगे ? कहीं सबका साथ देते देते किसी अमुक धर्म ने अपने परिवार की संख्या बढ़ा ली तो ?  तो फिर उन परमभक्तों के घर की महिलाओं को भी कम से कम चार बच्चे पैदा करने वाली मशीन बनना होगा । यदि ये न हो सका तो सारे कार्य छोड़कर सबको घरवापसी कराने का काम करना होगा ।

ज़रा सोचिए एक परिवार में क्या होता है जब एक भाई दूसरे से ज़्यादा तरक्की करने लगता है, तो ईर्ष्या और द्वेष जन्म लेते हैं , फिर उस प्रतिस्पर्धा में दूसरा भाई भी मेहनत करता है और इस तरह होता है विकास । जब तक प्रतिस्पर्धा नहीं होगी, विकास कैसे होगा और इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा को जन्म देने के लिए ये भी आवश्यक है कि सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मान लिया जाये । परिवार वैसे तो समाज की प्राथमिक ईकाई है और एक परिवार , कभी अपने पड़ोसी परिवार की तरक्क़ी से ख़ुश हो ही नहीं सकता जब तक पड़ोसी परिवार की तरक्क़ी से उस प्राथमिक परिवार को कोई लाभ ना हो रहा हो । यदि पड़ोस वाले की तरक्क़ी से अपने चार काम बनते हैं तो हम भी रोआब झाड़ लेंगे । हमसे बहस नहीं एसीपी फलाँ हमारे पड़ोसी, हमारे अच्छे दोस्त हैं, अक़्ल ठिकाने लगवा देंगे ,समझे  

वैसे 7 से 9 जनवरी तक गुजरात में  प्रवासी भारतीस दिवस का आयोजन हुआ और प्रवासियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के मक़सद से उत्तर-प्रदेश सरकार ने भी एअर पोर्ट से योजनास्थल तक  यू. पी. राइज़िंग के पोस्टर लगवाये थे , जिसमें उत्तर –प्रदेश में पनप रही संभावनाओं का ज़िक्र था लेकिन सम्मिट शुरू होने से पहले ही गुजरात सरकार ने उन पोस्टर्स को उतरवा दिया । गुजरात सरकार इसे अवैधानिक बता रही है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि वो इस आयोजन में बराबर के हिस्सेदार हैं इसलिए उन्हें अपना प्रचार करने का अधिकार है और साथ ही यू.पी. सरकार का कहना है कि सारी कार्यवाही पूरी होने और गुजरात नगर निगम से अनुमति लेकर ही ये पोस्टर्स लगवाये गये थे । उत्तर –प्रदेश के मुख्यमंत्री वैसे तो ख़राब मौसम के चलते इस सम्मिट में शामिल नहीं हुये पर शायद ये भी संभव है कि इस घटना से उनके मिज़ाज का मौसम बिगड़ गया हो । हम कहते हैं चलिये अगर वो पोस्टर वैधानिक नहीं भी थे तो भी गुजरात सरकार दो दिन की अवैधानिकता ही सह लेती, सम्मिट के बाद पोस्टर हटवा लेते , लेकिन नहीं, प्रवासी निवेशकों को भला दूसरे राज्य की तरफ़ आकर्षित कैसे होने देते ! अभी कोई गैंगरेप या मार-पीट की ख़बर होती तो यूपी को सबसे आगे खड़ा कर देते । यही तो है वसुधैव कुटुम्बकम् का आरम्भ , हर बात की शुरूआत अपने घर से ही तो होती है।परिवार का एक सदस्य दूसरे की तरक्क़ी कैसे देख सकता है । आशा करते हैं,वाइब्रेंट गुजरात सम्मिट पूरा होने के बाद घर वालों को भी ये सीख दी जायेगी कि वास्तव में वसुधैव कुटुम्बकम् का अर्थ है क्या।अभी तो मेहमान घर आये हुए हैं तो ज़रा अतिथि देवो भवः की परम्परा निपटा ली जाये, फिर आपस में भी निपट लेंगे ।

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