Monday 6 June 2011

RJ "हार-जीत" उर्फ़ कमलेशदास ओमप्रकाश मेहरा के नाम सुन्दरम का लव-लैटर "

सेवा में,
उदघोषक महोदय,
लखनऊ.
                 महोदय आपसे सविनय निवेदन है कि "ये मेरा प्रेम-पत्र पढ़ कर कि तुम नाराज़ न होना कि तुम मेरी जिंदगी हो...कि तुम मेरी बंदगी हो...." सर्वप्रथम ये गीत आपको समर्पित.आगे सब कुशल मंगल से है क्योंकि कल तीसरा बड़ा मंगल है,अतः सब बजरंगबली की कृपा है. आगे आपको सूचित किया जाता है की हमारे देश भारत में हर व्यक्ति के लिए अपना कार्य निर्धारित है और उसे उस कार्य के  अतिरिक्त अन्य कार्य नहीं  करने  चाहिए.
उदहारण के  तौर पर यदि  योगगुरु को केवल योगासन से ही मतलब रखने की सलाह दी जा रही है और कहा जा रहा है कि उन्हें  राजनैतिक आसन नहीं  कराने चाहिए  तो इस प्रकार से तो एक मनोरंजनकर्ता (entertainer) को भी केवल मनोरंजन आसन करना चाहिए,उदघोषणा आसन करना चाहिए,उसे स्वयं से जुडी  जनता का "राजनीतिक मनोरंजक ज्ञानवर्धन" करने की क्या आवश्यकता? "जो हो रहा है वो ग़लत है और जो शनिवार की रात हुआ वो और भी ग़लत  था" , तो फिर सही क्या है? और कौन करेगा?
                                                            जब अन्ना महोदय ने जंतर पे मंतर चलाया तब भी लोग अपनी झाड़ -फूँक कराने "डेल्ही-बेल्ही" पहुंचे थे अब अग़र लोग रामलीला मैदान में अपनी "सीता"(India की white money) को रावण(corrupt - people )  और उसकी लंका (swiss - Bank ) के  चंगुल से बचाने पहुँच गए तो क्या ग़लत किया? हम तो कुछ करते नहीं पर जो कर रहे हैं उन्हें भला हम दोषी क्यों ठहरा  रहे हैं? यदि ये सत्य है की "अनशन" से राजनीति का कोई "junction " नहीं बदलने वाला तो ये भी सच  है की चुप बैठे रहने से भी कुछ नहीं बदलने वाला. आज  इस बात का एहसास हुआ की "यू.पी.  बोर्ड" सबसे कठिन बोर्ड है,आज "Greenathon" की अच्छाई  दिखी तो "CCL(सेलेब्रिटी क्रिकेट लीग)" की  समाज-सेवा की भावना याद आई,,,आज बहुत सारी अच्छी  बातें हुईं ,उन सब बातों पर चर्चा हुई जो इस बवाल में खो गई सी लगती थी पर सच तो ये है की जिनका आज रिजल्ट आना था उन्हें उसका इंतज़ार था...जिन्ही सेलेब्रिटी मैच देखना था उन्होंने कल भी देखा और जिन्हें समाज- सेवा की भावना "Greenathon " में देखनी थी उन्होंने वो भी देखा...तो ये कहना ग़लत है कि  ये बातें  खो गईं.इन सब बातों से याद आया की जब अन्ना जी अनशन पर बैठे थे तो हमे सिवाय "India Against Corruption" के कुछ भी याद नही था .हम दिन भर एक दिए गए नम्बर  पर miscall  देकर अन्ना जी के सत्याग्रह का साथ देने की अपील  करते और सुनते पाए गए. उस दिन हमे और बातें क्यों छोटी लगीं उस अनशन के सामने?"अन्ना जी ने भी तो यही रास्ता अपनाया था,फर्क सिर्फ इतना है कि  उनका मुद्दा लोकपाल तक सीमित था और बाबा जी का मुद्दा  थोडा बड़ा रहा...जो बातें उसमे सही नही थी उन पर भी एक बार विचार कर बदलाव के बारे में सोचा जा सकता था..पर पर उनके तरीके का इतना विरोध क्यों?
                                      न ही हमें योग का शौक है न ही योग करने का समय और न ही कल तक रामदेव जी से खासा फर्क पड़ता था पर उनसे जुड़े इतने सारे देशवासियों से फर्क पड़ता है..हमें भी और आपको भी...हम सबको. मुद्दा ये है की हम अन्ना जी और रामदेव जी के  मामले में दोहरा रवैया   क्यों अपना रहे हैं जबकि दोनों के तरीके लगभग एक ही हैं..अग़र ग़लत ही ठहराना  था तो उस समय अन्ना जी को भी ग़लत ठहरा देते तब भी समझ आता की  चलो हमें परिवर्तन ही  नहीं चाहिए.
                                      चलिए  हम  ये भी  मान लेतें  हैं की रामदेव जी जो कर रहे हैं या कह रहें हैं वो बिलकुल भी व्यवहारिक  (practical) नही है शायद इसीलिए इतनी मुश्किलें आ रही हैं और आती रहेंगी क्योंकि "आदर्श-राज्य"(Ideal -state) तो केवल "Utopiya "  जैसी किताबों में ही संभव है..वास्तव में नहीं.१००% खरा सोना वो भी बिना मिलावट उपलब्ध नही हो सकता पर ९४ कैरेट गोल्ड पाने की कोशिश तो की जा सकती है."हम हर उस भारतीय का साथ हर उस बात के लिए देंगे जो हमारे देश के हित में है.हम ये नहीं कहते कि   बाबा जी को सत्ता थमा दो पर जिन्हें थमाई है उन्हें थमा कर भी कोई गर्व करने वाला काम नही किया हमने.लोग विवादास्पद (controversial ) मुद्दों पर बोलने से बचते हैं, सबकी जुबां  पे ताले pad जाते हैं पर चाहते हैं कि  देश सुधर जाये.
                         मैं कमलेश जी को ये प्रेम-पत्र कभी नही लिखती क्योंकि वो खुद को रोमांस में पांचवी अनुत्तीर्ण (fail ) जो कहते हैं..पर आज अच्छी -अच्छी  बातों के गुलाब के गुलदस्ते के साथ जो वो एक बड़ा सा काँटा ("जो हो रहा है वो ग़लत है........ग़लत था.") उन्होंने बार-बार चुभोया उससे दर्द हुआ. क्या दिल्ली-पुलिस अपनी मर्ज़ी से वो सब करने पहुंची थी बिना किसी आदेश जो आप उन्हें प्रेम-पत्र लिख कर सत्याग्रह कर रहे थे.इसके पीछे का सच और असली ज़िम्मेदार को तो आप भी जानते हैं फिर बेचारी दिल्ली -पुलिस को अकेले दोषी ठहराने   का क्या फायदा? 
            वर्ल्ड-कप के बाद आज ये सोच कर रेडियो खोला था की कुछ नया मिलेगा पर कमलेश जी से ये उम्मीद नहीं थी की वो ऐसा गुलाब देंगे.श्रीमान हम आपसे प्रेम करते हैं परन्तु इस प्रेम की ऐसी परीक्षा तो मत लीजिये.ऐसा गुलाबों का गुलदस्ता देने से तो अच्छा होता की आप चमेली  का फूल थमा देते या फिर अपने इश्क का इज़हार-ए -बयान ही न करते . आपका एक उत्तरदायित्व  है जो हमसे कहीं ज्यादा है क्योंकि आपके पास एक माध्यम (मीडियम) है लोगों तक पहुँचने का तो बेहतर तो ये होगा की आप सरकारी रेडियो चैनल्स     की तरह केवल सकारात्मक बातें करें और उन्ही मुद्दों को अपने कार्यक्रम में शामिल करें,उसके अतिरिक्त कुछ भी नही पर तब आपको टी.आर.पी. की चिंता भी घेर सकती है.अग़र आपने आज बार-बार अपनी बात दोहराई न होती तो शायद मैं  ये पत्र कभी न लिखती पर क्या करूँ रोक नही पायी अपना इज़हार-ए- इश्क  क्योंकि भारत की मिटटी से प्यार करती हूँ.अग़र आप पूछेंगे कि  मैंने इसके लिए क्या किया तो मैं कहूँगी कि  अग़र कुछ अच्छा नही तो कुछ बुरा भी नहीं किया.इसके लिए अग़र  मैंने आज तक आवाज़ नही उठाई तो आवाज़ उठाने वालों को ग़लत भी नहीं ठहरा सकी. न मेरे पास खोने के लिए नौकरी है,न ही काले धन के पकडे जाने का dar ,न रिश्वत  और घूसखोरी में पकडे जाने की शंका,न मैं  अनशन पर बैठी हूँ,न ही बैठूंगी,पर जो बैठा है उसे ग़लत भी नहीं कहूँगी क्योंकि मैं  एक किन्कर्त्व्यविमूध  (kaamchor ) नागरिक हूँ जिसने  केवल अपने घर-परिवार और करियर तक ही सोचा देश के लिए न तो कुछ किया है अब तक और न ही अभी इतना साहस  है कि  ऐसा  कुछ कर सकूँ  पर जो कर रहा है कम  से कम  उस पर उंगली  तो नहीं उठा  सकती. 
                                    आपसे दिल  की बात इसलिए  कह दी क्योंकि आप  पर अपना कुछ हक  समझते  हैं क्योंकि आप हमारे बीच  हैं और हम सब के करीब  भी,वरना  दिग्विजय  सिंह  से तो हमारा  कोई नाता  है नहीं और न ही कपिल  सिब्बल  जी से और वो लोग जब इतने सारे  लोगों की आवाज़ यूँ  ही दबा  सकते है तो फिर हम   किस  खेत  की मूली  हैं. आज आपने  पहली  बार हमें मौका दिया  है और साथ ही तरीका भी आपने ही सिखाया  है की कैसे  आपसे इज़हार-ए-इश्क किया जाए  .आपसे बहुत  कुछ सीखा   है और सीखती  रहूंगी  और हमारा  प्यार इतना कमज़ोर  नहीं की इतनी आसानी  से ये रिश्ता टूट  जाये, बिलकुल नहीं.आप कल भी हमारे चहीते  "Subahman" थे आज भी हैं और कल भी रहेंगे .इस बहस  में "हार -जीत " चाहे जिसकी हो पर हमने बड़ी किस्मत से आपको "अर्जित " किया है और आप हमारे ही रहेंगे .आशा  करती हूँ की आप मेरा प्रेम-पत्र पढ़ कर कूड़ेदान  (dustbin )  में तो नहीं डालेंगे . 
"जय हिंद ,जय  भारत"
                                                                                                                                         आपकी  अपनी
                                                                                                                                          मिर्ची  तानपुरी 
                                                                                                                                             "सुन्दरम " 

7 comments:

  1. उफ़ तब्बाही है बाबा ....बहुत तब्बाही | अच्छा नहीं लिखा बल्कि बहुत अच्छा लिखा | व्यंग लिखने का एक अच्छा स्टाइल है |

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  2. Haar-jit ji, aapko to zor ka laga hai; sorry BHIGA HUA lagana bhool gaya. Waise kal jo Panje ko Joota na pad ke bhi pada hai, wo har uss vyakti ke .... par laga hai; sorry iss baar muh lagana bhool gaya.

    Good work Sundaram

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  3. शानदार मजेदार मजा आ गया पढकर

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  4. A nice way to express your love.. ..
    Such a interesting letter.. ..
    Very Good.. .. jai Hind..

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  5. Wao what a love letter....
    Extraordinary way to express yr feelings.... ;)
    Nice... :)

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  6. sandar hi nahi bhetrin jitani tarif ki jaye cum hai........

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